🇮🇳 भारत के वैज्ञानिक रत्न: विजय पांडुरंग भटकर – भारत के सुपरकम्प्यूटिंग के पिता
डॉ. विजय पांडुरंग भटकर को आधुनिक भारत में सुपरकम्प्यूटिंग का शिल्पकार कहा जाता है। उन्होंने 1991 में विश्व की चुनिंदा सुपरकम्प्यूटर्स में से एक बनाई—**PARAM 8000**, जो तकनीकी रूप से समृद्ध और किफ़ायती थी। इससे भारत ने *technology sanctions* को चुनौती दी और आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाया।
🎓 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. भटकर का जन्म 25 अप्रैल 1946 को महाराष्ट्र के मुरांबा (तालुका मुर्तिजापुर) में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (BE), MS यूनिवर्सिटी, बड़ौदा से ME और फिर PhD की उपाधि **IIT दिल्ली** से प्राप्त की। डॉ. भटकर का अकादमिक पृष्ठभूमि ही उन्हें सुपरकम्प्यूटिंग की दिशा में प्रेरित करती है। 2
🚀 PARAM सुपरकम्प्यूटर्स की श्रृंखला
1980 और 1990 के दशक की शुरुआत में अमेरिका और यूरोप में सुपरकम्प्यूटर्स की आपूर्ति रोकी गई थी। इस संकट का सामना करते हुए, डॉ. भटकर ने C-DAC के माध्यम से भारत की पहली सुपरकम्प्यूटर श्रृंखला बनाई:
- PARAM 8000 (1991): भारत का पहला सुपरकम्प्यूटर, 64 प्रोसेसर, Inmos T800 transputer आधारित 3।
- PARAM 8600 (1992): 256 प्रोसेसर सहित, Intel i860 आधारित 4।
- PARAM 10000 (1998): 160 UltraSPARC CPUs, 6.4 GFLOPS पर कार्य 5।
- आगे की पीढ़ियाँ: Yuva, Yuva-II, Kanchenjunga – 500+ TFLOPS तक क्षमता के साथ 6।
🏗️ राष्ट्रीय सुपरकम्प्यूटिंग मिशन (NSM)
डॉ. भटकर ने भारत सरकार को सुझाव दिया कि हमें एक नेटवर्क ऑफ सुपरकम्प्यूटिंग फेसिलिटी बनाने की ज़रूरत है। इसके चलते National Supercomputing Mission (NSM) शुरू हुआ, जो हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC) संस्थानों की एक वेब स्थापित करता है। आज भारत में 70+ HPC इंस्टॉल हुए हैं, जो शोध, शिक्षा, मौसम विज्ञान, AI और simulations में उपयोग हो रहे हैं। 7
🌐 वैश्विक प्रभाव
PARAM 8000 की सफलता वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में आई — यह Cray जैसी विश्व स्तरीय मशीनों से प्रतिस्पर्धा कर सकी। भारत ने इस तकनीक को एक्सपोर्ट भी किया और यह आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी।
डॉ. भटकर का नेतृत्व वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को आत्मनिर्भर बनाने में प्रेरणास्रोत रहा। उन्होंने विदेशी द्वेषपूर्ण नीतियों को मात दी और दिखाया कि संसाधनों की कमी बाधा नहीं, अवसर बन सकती है।
🎖️ पुरस्कार और सम्मान
- पद्म विभूषण (2000) — वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में प्रतिष्ठित सम्मान।
- महाराष्ट्र भूषण
- सी–DAC टी और अन्य राष्ट्रीय प्रतिष्ठान स्थापित करने में भूमिका — जैसे C-DAC, ER and DC Thiruvananthapuram और IIITM-K 8।
💡 सीख STEM छात्रों के लिए
- 👨🔬 *Self-reliance through innovation*: संसाधन कम होने पर भी भारत ने अपनी तकनीक बनाई।
- 🤝 *Collaboration*: कई विश्वविद्यालय और उद्योगों के साथ साझेदारी कर बड़े उद्देश्य हासिल किए गए।
- 🔬 *Visionary leadership*: सपने देखे, उन्हें समझाया और पूरा किया — यही विशेषज्ञता का काम है।
🔗 श्रृंखला के अन्य वैज्ञानिक
- 🔹 विक्रम साराभाई – ISRO के संस्थापक
- 🔹 एस. एन. चंद्रशेखर – चंद्रशेखर सीमा
- 🔹 हरगोविंद खुराना – जेनेटिक कोड के अन्वेषक
यह लेख STEM Hindi की "भारत के वैज्ञानिक रत्न" श्रृंखला का हिस्सा है — विज्ञान को सरल, प्रभावी और प्रेरक बनाने का हमारा प्रयास।
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