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डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई

🔬 भारत के वैज्ञानिक रत्न

भाग 4: डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई

भारत को आधुनिक अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में अग्रसर करने वाले डॉ. विक्रम साराभाई ऐसे वैज्ञानिक थे, जिनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व क्षमता ने भारत को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाया। उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है।


🎓 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद, गुजरात के एक समृद्ध और शिक्षित परिवार में हुआ। उनके पिता अंबालाल साराभाई एक प्रसिद्ध उद्योगपति थे।

विक्रम साराभाई की प्रारंभिक शिक्षा अहमदाबाद में हुई, और उन्होंने आगे की पढ़ाई कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से की जहाँ से उन्होंने Natural Sciences में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

🚀 ISRO की नींव और अंतरिक्ष में भारत की उड़ान

साल 1969 में, डॉ. साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना की। उनका मानना था कि:

"हम अंतरिक्ष में इसलिए नहीं जा रहे क्योंकि हम दूसरों की नकल कर रहे हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि यह भारत के विकास के लिए अनिवार्य है।"

उनकी अगुवाई में भारत ने थुंबा (Thumba) में पहला रॉकेट लॉन्च स्टेशन स्थापित किया, और 1975 में भारत का पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ लॉन्च किया गया।

क्या आप जानते हैं?
विक्रम साराभाई ने ही डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को ISRO में लाया था, जो आगे चलकर भारत के मिसाइल मैन और राष्ट्रपति बने।

🏛 प्रमुख संस्थानों की स्थापना

  • भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
  • भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), अहमदाबाद
  • कम्युनिटी साइंस सेंटर
  • डॉ. विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC), तिरुवनंतपुरम

🌍 उनके दृष्टिकोण की खास बातें

  • अंतरिक्ष विज्ञान को सामाजिक उपयोगों से जोड़ना
  • गांव-गांव तक टेली-एजुकेशन और मौसम सूचना पहुँचाना
  • विदेशी सहयोग के साथ स्वदेशी तकनीक का विकास

🏅 पुरस्कार और सम्मान

भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण (1966) और पद्म विभूषण (1972, मरणोपरांत) से सम्मानित किया।

उनकी स्मृति में चंद्रमा की सतह पर स्थित एक क्रेटर का नाम "Sarabhaicrater" रखा गया है।

🕯 निधन और विरासत

डॉ. साराभाई का निधन 30 दिसंबर 1971 को हुआ जब वे ISRO के मुख्य मिशनों की निगरानी कर रहे थे। उनकी मृत्यु एक अपूर्ण सपना छोड़ गई, जिसे आज भी ISRO पूरा कर रहा है।


🔗 श्रृंखला के पूर्व भाग:

🔜 अगला भाग: श्रीनिवास रामानुजन – भारत के गणितीय चमत्कार

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