🔬 भारत के वैज्ञानिक रत्न #1 - सी. वी. रमन
सी वी रमन |
चित्र स्रोत: विकिपीडिया
👶 प्रारंभिक जीवन
चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म 7 नवम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। उनके पिता एक कॉलेज में भौतिकी के शिक्षक थे, जिससे रमन को बचपन से ही विज्ञान में रुचि हो गई। वे बचपन से ही अत्यंत प्रतिभाशाली थे और महज 11 साल की उम्र में उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई शुरू कर दी थी।
📚 शिक्षा और लगन
उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज, मद्रास से स्नातक किया और यूनिवर्सिटी टॉप किया। फिर सिविल सर्विस में नौकरी मिल गई, लेकिन विज्ञान के लिए उनका प्यार कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने अपने खाली समय में ही प्रयोग करना शुरू किया और कई वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए — वह भी बिना आधुनिक उपकरणों के!
🌟 प्रेरणादायक घटना: समुद्र का नीला रंग
🧪 रमन प्रभाव और नोबेल पुरस्कार
28 फरवरी 1928 को उन्होंने 'रमन प्रभाव' की खोज की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम से गुजरता है तो उसका कुछ भाग परिवर्तित तरंगदैर्ध्य के साथ परावर्तित होता है। इस महत्वपूर्ण खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला — वे इस सम्मान को पाने वाले पहले एशियाई बने।
🎓 वैज्ञानिक संस्थानों में योगदान
वे भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बंगलुरु के पहले भारतीय निदेशक बने और बाद में रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना की। उन्होंने विज्ञान की शिक्षा और शोध को भारत में एक नई दिशा दी।
🎖️ सम्मान और पुरस्कार
- 🎗️ नोबेल पुरस्कार - भौतिकी (1930)
- 🎖️ भारत रत्न (1954)
- 🎓 नाइट बैचलर की उपाधि (ब्रिटिश शासन द्वारा)
- 📆 राष्ट्रीय विज्ञान दिवस - 28 फरवरी को उनके सम्मान में मनाया जाता है
🕊️ जीवन का अंतिम समय
अपने जीवन के अंतिम वर्षों में भी रमन ने रिसर्च का साथ नहीं छोड़ा। एक बार डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने को कहा, लेकिन उन्होंने कहा, "मैं अपनी प्रयोगशाला में ही मरना चाहता हूं।" वे विज्ञान से इस कदर प्रेम करते थे।
💡 प्रेरणा विद्यार्थियों के लिए
🔹 उन्होंने दिन में सरकारी नौकरी और रात में प्रयोगशाला में काम करके विज्ञान में विश्वस्तरीय योगदान दिया।
🔹 अगर आपके पास जिज्ञासा, समर्पण और निरंतरता है, तो आप भी इतिहास रच सकते हैं।
यह पोस्ट Science Hindi की श्रृंखला "भारत के वैज्ञानिक रत्न" का भाग है। अगली पोस्ट में पढ़ें: जगदीश चंद्र बोस की प्रेरक कहानी।
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