भारत के वैज्ञानिक रत्न: एस. एन. चंद्रशेखर – चंद्रशेखर सीमा के खोजकर्ता
एस. एन. चंद्रशेखर, एक ऐसा नाम है जिसे खगोल भौतिकी (Astrophysics) में चंद्रशेखर सीमा (Chandrasekhar Limit) के लिए विश्वभर में जाना जाता है। वे पहले भारतीय मूल के वैज्ञानिक थे जिन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। उनका शोध तारे की जीवन समाप्ति, न्यूट्रॉन स्टार और ब्लैक होल की अवधारणाओं की नींव बना।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
एस. एन. चंद्रशेखर का जन्म 19 अक्टूबर 1910 को लाहौर (अब पाकिस्तान में) में हुआ। वे प्रसिद्ध वैज्ञानिक सी. वी. रमन के भतीजे थे, जो खुद नोबेल विजेता थे। चंद्रशेखर की प्रारंभिक शिक्षा मद्रास (अब चेन्नई) में हुई। उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज से स्नातक किया और 1930 में उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पीएच.डी. के लिए प्रवेश लिया।
कैम्ब्रिज में रहते हुए उन्होंने तारे के जीवन के अंतिम चरणों पर कार्य शुरू किया।
चंद्रशेखर सीमा (Chandrasekhar Limit)
चंद्रशेखर ने गणनाओं के माध्यम से सिद्ध किया कि एक श्वेत वामन तारे (White Dwarf) का अधिकतम द्रव्यमान लगभग 1.4 सौर द्रव्यमान होता है।
यदि किसी तारे का द्रव्यमान इससे अधिक होता है, तो वह श्वेत वामन नहीं बन सकता, बल्कि वह तारा न्यूट्रॉन तारा या ब्लैक होल में परिवर्तित हो जाएगा।
यह सीमा आज "चंद्रशेखर सीमा" के नाम से जानी जाती है और यह खगोल भौतिकी की नींव मानी जाती है।
शुरुआती संघर्ष और आलोचना
उनके विचारों को उस समय के प्रसिद्ध वैज्ञानिक सर आर्थर एडिंगटन ने खारिज कर दिया। एडिंगटन ने उनके शोध को सार्वजनिक रूप से आलोचना का विषय बना दिया। यह चंद्रशेखर के लिए भावनात्मक रूप से कठिन समय था।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अमेरिका जाकर उन्होंने अपना शोध जारी रखा और 1937 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो में प्रोफेसर बन गए, जहां वे जीवन भर रहे।
वैज्ञानिक योगदान
- तारकीय संरचना: उन्होंने 'An Introduction to the Study of Stellar Structure' नामक ग्रंथ लिखा जो आज भी मानक पुस्तक है।
- Radiative Transfer: उन्होंने प्रकाश के प्रसार पर भी गहरा काम किया, जो खगोलिकी में अहम है।
- Relativistic Astrophysics: चंद्रशेखर ने जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी पर आधारित खगोल भौतिकी पर कई महत्वपूर्ण सिद्धांत विकसित किए।
- गैस डायनामिक्स, ब्लैक होल, न्यूट्रॉन स्टार्स – हर क्षेत्र में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सम्मान और पुरस्कार
- नोबेल पुरस्कार (1983): उन्हें विलियम फाउलर के साथ भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला।
- रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन और नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (USA) के सदस्य बने।
- पद्म विभूषण (1968): भारत सरकार ने उन्हें यह उच्च सम्मान दिया।
- NASA ने उनके सम्मान में "Chandra X-ray Observatory" का नामकरण किया।
एक आदर्श वैज्ञानिक
चंद्रशेखर का जीवन शोध, समर्पण और नैतिकता का उदाहरण है। उन्होंने कहा था:
"Science is a perception of the world around us. Science is a place where what you find in nature pleases you."
वे एक आदर्श शिक्षक, शोधकर्ता और प्रेरक वक्ता भी थे।
भारतीय वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा
चंद्रशेखर ने दिखाया कि सीमित संसाधनों और विरोध के बावजूद, यदि किसी में जुनून और समर्पण हो, तो वह विश्व स्तर पर विज्ञान में क्रांति ला सकता है।
उनकी कहानी भारतीय STEM छात्रों के लिए हौसले और तपस्या की जीती-जागती मिसाल है।
निष्कर्ष
एस. एन. चंद्रशेखर केवल एक वैज्ञानिक नहीं थे, वे एक विचारधारा थे। उनके कार्यों ने न केवल विज्ञान को समृद्ध किया, बल्कि भारत को विश्व विज्ञान मानचित्र पर गौरवपूर्ण स्थान दिलाया।
उनकी विरासत आज भी NASA से लेकर IITs तक, हर जगह प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
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