इलेक्ट्रॉन ऑर्बिटल क्या होते हैं? – Schrödinger मॉडल की सरल और गहरी व्याख्या
पिछली पोस्ट में हमने देखा कि बोहर मॉडल क्यों असफल हुआ। अब सवाल स्वाभाविक है — अगर इलेक्ट्रॉन कक्षा में नहीं घूमता, तो वह वास्तव में होता कहाँ है?
इस सवाल का उत्तर किसी चित्र या साधारण नियम में नहीं, बल्कि एक समीकरण में छिपा था — जिसने पदार्थ को देखने का तरीका ही बदल दिया।
📌 Table of Contents
1️⃣ कक्षा से ऑर्बिटल तक की यात्रा
बोहर मॉडल में इलेक्ट्रॉन एक निश्चित वृत्ताकार कक्षा में घूमता था, बिल्कुल ग्रहों की तरह। लेकिन क्वांटम यांत्रिकी ने बताया कि इलेक्ट्रॉन की स्थिति कभी बिल्कुल तय नहीं होती।
इसका अर्थ यह नहीं कि इलेक्ट्रॉन “अव्यवस्थित” है, बल्कि यह कि प्रकृति स्वयं संभावनाओं में काम करती है।
यहीं से “orbit” की जगह “orbital” शब्द आया — कक्षा नहीं, बल्कि संभाव्यता का क्षेत्र।
2️⃣ Schrödinger समीकरण का विचार
1926 में Erwin Schrödinger ने एक ऐसा समीकरण दिया जो इलेक्ट्रॉन को कण नहीं, तरंग की तरह वर्णित करता है।
$$\hat{H}\psi = E\psi$$
यह समीकरण यह नहीं बताता कि इलेक्ट्रॉन कहाँ है, बल्कि यह बताता है कि इलेक्ट्रॉन कहाँ मिलने की कितनी संभावना है।
3️⃣ Wave function (ψ) का वास्तविक अर्थ
ψ (psi) कोई भौतिक वस्तु नहीं है। इसे न तो मापा जा सकता है, न ही सीधे देखा जा सकता है।
ψ एक गणितीय सूचना है — जो इलेक्ट्रॉन की अवस्था का पूरा विवरण रखती है।
ψ स्वयं अर्थहीन है, लेकिन ψ² प्रकृति की भाषा बोलता है।
4️⃣ ψ² और Probability Density
जब हम ψ का वर्ग करते हैं, तो हमें मिलता है:
$$|\psi|^2 = \text{Probability Density}$$
यह बताता है कि किसी स्थान पर इलेक्ट्रॉन मिलने की संभावना कितनी है।
इसी ψ² को हम चित्रों में electron cloud के रूप में देखते हैं।
5️⃣ ऑर्बिटल क्या है और क्या नहीं
ऑर्बिटल:
- इलेक्ट्रॉन का रास्ता नहीं है
- कोई ठोस सतह नहीं है
- एक गणितीय-भौतिक क्षेत्र है
सरल शब्दों में — ऑर्बिटल वह क्षेत्र है जहाँ इलेक्ट्रॉन मिलने की संभावना सबसे अधिक होती है।
6️⃣ s, p, d, f ऑर्बिटल की कल्पना
Schrödinger समीकरण के हल अलग-अलग आकृतियाँ देते हैं:
- s – गोलाकार (sphere)
- p – डम्बल आकार
- d – जटिल क्लोवर आकृति
- f – और भी जटिल
ये आकृतियाँ कल्पना नहीं, बल्कि गणित की सीधी परिणति हैं।
7️⃣ प्रयोगात्मक प्रमाण
Electron diffraction experiments (Davisson–Germer experiment) ने यह साबित किया कि इलेक्ट्रॉन वास्तव में तरंग जैसा व्यवहार करता है।
Scanning Tunneling Microscope (STM) से आज हम ऑर्बिटल density तक देख सकते हैं — जो Schrödinger मॉडल की पुष्टि है।
8️⃣ क्यों यह मॉडल सही है
यह मॉडल:
- हाइड्रोजन से लेकर भारी परमाणुओं तक काम करता है
- स्पेक्ट्रम, बंध, आवर्तिता समझाता है
- आधुनिक रसायन विज्ञान की नींव है
जहाँ बोहर ने परमाणु को स्थिर किया, वहीं Schrödinger ने उसे समझाया।
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