ध्रुवीकरण (पोलराइजेशन) और उसका प्रयोग
ध्रुवीकरण, जिसे अंग्रेजी में 'पोलराइजेशन' कहा जाता है, भौतिक विज्ञान और विशेष रूप से प्रकाशिकी में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह तरंगों, खासकर विद्युतचुंबकीय तरंगों (जैसे प्रकाश) के कंपन की दिशा से संबंधित है। साधारण प्रकाश में, विद्युत क्षेत्र सभी दिशाओं में समान रूप से कंपन करता है, जबकि ध्रुवीकृत प्रकाश में, विद्युत क्षेत्र एक विशिष्ट दिशा में कंपन करता है। यह घटना न केवल सैद्धांतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके कई व्यावहारिक अनुप्रयोग भी हैं। इस लेख में, हम ध्रुवीकरण की अवधारणा, इसके विभिन्न प्रकार, इसे उत्पन्न करने के तरीके और इसके विविध अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
विषय-सूची
- ध्रुवीकरण: परिभाषा और मूल बातें
- ध्रुवीकरण के प्रकार
- ध्रुवीकरण उत्पन्न करने के तरीके
- ध्रुवीकरण के अनुप्रयोग
- ध्रुवीकरण का गणितीय निरूपण
- ध्रुवीकरण से जुड़ी चुनौतियाँ
ध्रुवीकरण: परिभाषा और मूल बातें
ध्रुवीकरण एक तरंग की एक विशेषता है जो तरंग के दोलन की दिशा का वर्णन करती है। यह अवधारणा मुख्य रूप से अनुप्रस्थ तरंगों (transverse waves) के लिए लागू होती है, जैसे कि प्रकाश तरंगें। अनुप्रस्थ तरंगें वे तरंगें होती हैं जिनमें दोलन की दिशा तरंग के प्रसार की दिशा के लंबवत होती है। प्रकाश एक विद्युतचुंबकीय तरंग है, जिसमें विद्युत क्षेत्र (electric field) और चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) एक-दूसरे के लंबवत कंपन करते हैं, और दोनों क्षेत्र तरंग के प्रसार की दिशा के लंबवत होते हैं।
साधारण प्रकाश, जैसे कि सूर्य का प्रकाश या बल्ब से निकलने वाला प्रकाश, अध्रुवीकृत (unpolarized) होता है। इसका मतलब है कि विद्युत क्षेत्र सभी संभावित दिशाओं में समान रूप से कंपन करता है। इसके विपरीत, ध्रुवीकृत प्रकाश में, विद्युत क्षेत्र एक विशिष्ट दिशा में कंपन करता है। यह दिशा ध्रुवीकरण की दिशा कहलाती है। ध्रुवीकरण की अवधारणा को समझने के लिए, हमें तरंगों के विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों के व्यवहार को समझना होगा।
गणितीय रूप से, एक विद्युतचुंबकीय तरंग को निम्नलिखित समीकरणों द्वारा दर्शाया जा सकता है:
E = E0 cos(ωt - kz)
B = B0 cos(ωt - kz)
यहाँ, E विद्युत क्षेत्र है, B चुंबकीय क्षेत्र है, E0 और B0 क्रमशः विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों के आयाम हैं, ω कोणीय आवृत्ति है, t समय है, k तरंग संख्या है, और z तरंग के प्रसार की दिशा है।
ध्रुवीकरण की प्रक्रिया में, अध्रुवीकृत प्रकाश को एक ध्रुवक (polarizer) से गुजारा जाता है, जो केवल एक विशिष्ट दिशा में कंपन करने वाले विद्युत क्षेत्र को ही गुजरने देता है। इस प्रकार, निर्गत प्रकाश ध्रुवीकृत हो जाता है।
ध्रुवीकरण के प्रकार
ध्रुवीकरण कई प्रकार का होता है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषताएँ और अनुप्रयोग हैं। मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:
- रेखीय ध्रुवीकरण (Linear Polarization): इस प्रकार के ध्रुवीकरण में, विद्युत क्षेत्र एक सीधी रेखा में कंपन करता है। रेखीय ध्रुवीकरण को दो लंबवत घटकों में विभाजित किया जा सकता है, और इन घटकों के बीच कोई कलांतर (phase difference) नहीं होता है। रेखीय ध्रुवीकरण सबसे सरल प्रकार का ध्रुवीकरण है और इसका उपयोग कई अनुप्रयोगों में किया जाता है।
- वृत्तीय ध्रुवीकरण (Circular Polarization): इस प्रकार के ध्रुवीकरण में, विद्युत क्षेत्र एक वृत्त में घूमता है। वृत्तीय ध्रुवीकरण तब उत्पन्न होता है जब दो लंबवत रेखीय ध्रुवीकृत तरंगें समान आयाम की होती हैं और उनके बीच π/2 का कलांतर होता है। वृत्तीय ध्रुवीकरण को दक्षिणावर्त (clockwise) या वामावर्त (counterclockwise) दिशा में घुमाया जा सकता है, जिसे क्रमशः दक्षिण-हस्त (right-handed) और वाम-हस्त (left-handed) वृत्तीय ध्रुवीकरण कहा जाता है।
- दीर्घवृत्तीय ध्रुवीकरण (Elliptical Polarization): इस प्रकार के ध्रुवीकरण में, विद्युत क्षेत्र एक दीर्घवृत्त (ellipse) में घूमता है। दीर्घवृत्तीय ध्रुवीकरण तब उत्पन्न होता है जब दो लंबवत रेखीय ध्रुवीकृत तरंगें असमान आयाम की होती हैं या उनके बीच π/2 के अलावा कोई अन्य कलांतर होता है। रेखीय और वृत्तीय ध्रुवीकरण, दीर्घवृत्तीय ध्रुवीकरण के विशेष मामले हैं।
प्रत्येक प्रकार के ध्रुवीकरण का उपयोग विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है। उदाहरण के लिए, रेखीय ध्रुवीकरण का उपयोग LCD स्क्रीन और ध्रुवीकरण माइक्रोस्कोप में किया जाता है, जबकि वृत्तीय ध्रुवीकरण का उपयोग 3D सिनेमा और संचार प्रणालियों में किया जाता है।
ध्रुवीकरण उत्पन्न करने के तरीके
ध्रुवीकरण उत्पन्न करने के कई तरीके हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषताएँ और अनुप्रयोग हैं। मुख्य तरीके निम्नलिखित हैं:
- ध्रुवण फिल्टर (Polarization Filters): ध्रुवण फिल्टर सबसे आम तरीका है। ये फिल्टर एक विशेष दिशा में कंपन करने वाले प्रकाश को ही गुजरने देते हैं। ध्रुवण फिल्टर डाइक्रोइक सामग्री से बने होते हैं, जो एक विशेष दिशा में प्रकाश को अवशोषित करते हैं और लंबवत दिशा में प्रकाश को गुजरने देते हैं।
- परावर्तन (Reflection): जब प्रकाश एक सतह से परावर्तित होता है, तो परावर्तित प्रकाश आंशिक रूप से ध्रुवीकृत हो जाता है। ध्रुवीकरण की मात्रा आपतन कोण (angle of incidence) और सतह के गुणों पर निर्भर करती है। ब्रूस्टर कोण (Brewster's angle) पर, परावर्तित प्रकाश पूरी तरह से ध्रुवीकृत हो जाता है। ब्रूस्टर कोण निम्नलिखित समीकरण द्वारा दिया जाता है:
tan θB = n2/n1
यहाँ, θB ब्रूस्टर कोण है, n1 आपतन माध्यम का अपवर्तनांक (refractive index) है, और n2 परावर्तन माध्यम का अपवर्तनांक है।
- द्विअपवर्तन (Birefringence): कुछ क्रिस्टल, जैसे कि कैल्साइट (calcite) और क्वार्ट्ज (quartz), द्विअपवर्तक होते हैं। इसका मतलब है कि वे विभिन्न दिशाओं में प्रकाश की विभिन्न गति से यात्रा करने की अनुमति देते हैं। जब अध्रुवीकृत प्रकाश एक द्विअपवर्तक क्रिस्टल से गुजरता है, तो यह दो लंबवत ध्रुवीकृत किरणों में विभाजित हो जाता है, जिनमें से प्रत्येक की गति अलग-अलग होती है।
- प्रकीर्णन (Scattering): जब प्रकाश छोटे कणों से टकराता है, तो यह प्रकीर्णित हो जाता है। प्रकीर्णित प्रकाश आंशिक रूप से ध्रुवीकृत हो जाता है। आकाश का नीला रंग रेले प्रकीर्णन (Rayleigh scattering) के कारण होता है, जिसमें सूर्य का प्रकाश वायुमंडल में अणुओं से प्रकीर्णित होता है।
ध्रुवीकरण के अनुप्रयोग
ध्रुवीकरण के कई व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- एलसीडी स्क्रीन (LCD Screens): लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (LCD) स्क्रीन ध्रुवीकरण का उपयोग करके छवियों का निर्माण करती हैं। एलसीडी स्क्रीन में, लिक्विड क्रिस्टल अणुओं की परत को दो ध्रुवण फिल्टर के बीच रखा जाता है। लिक्विड क्रिस्टल अणुओं को विद्युत क्षेत्र द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो प्रकाश के ध्रुवीकरण को बदलता है और स्क्रीन पर छवियों का निर्माण करता है।
- ध्रुवीकरण माइक्रोस्कोपी (Polarization Microscopy): ध्रुवीकरण माइक्रोस्कोपी का उपयोग उन सामग्रियों की संरचना का अध्ययन करने के लिए किया जाता है जो द्विअपवर्तक होती हैं। इस तकनीक में, नमूने को दो ध्रुवण फिल्टर के बीच रखा जाता है, और ध्रुवीकृत प्रकाश नमूने से गुजरता है। नमूने की संरचना के आधार पर, ध्रुवीकृत प्रकाश विभिन्न तरीकों से बदल जाता है, जिससे नमूने की विस्तृत छवि प्राप्त होती है।
- 3डी सिनेमा (3D Cinema): 3डी सिनेमा में, दो छवियों को एक साथ प्रक्षेपित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक को अलग-अलग ध्रुवीकरण दिशा में ध्रुवीकृत किया जाता है। दर्शक विशेष ध्रुवीकृत चश्मा पहनते हैं, जो प्रत्येक आंख को केवल एक छवि देखने की अनुमति देते हैं। इससे मस्तिष्क में गहराई का भ्रम पैदा होता है, जिससे 3डी प्रभाव उत्पन्न होता है।
- संचार प्रणालियाँ (Communication Systems): ध्रुवीकरण का उपयोग संचार प्रणालियों में डेटा को एन्कोड करने और प्रसारित करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ध्रुवीकरण-विभाजन बहुसंकेतन (polarization-division multiplexing) में, दो अलग-अलग डेटा स्ट्रीम को दो लंबवत ध्रुवीकृत प्रकाश तरंगों पर प्रसारित किया जाता है, जिससे संचार चैनल की क्षमता दोगुनी हो जाती है।
- तनाव विश्लेषण (Stress Analysis): ध्रुवीकरण का उपयोग सामग्रियों में तनाव का विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है। जब एक सामग्री पर तनाव डाला जाता है, तो वह द्विअपवर्तक हो जाती है। ध्रुवीकरण माइक्रोस्कोपी का उपयोग करके, सामग्री में तनाव के वितरण को देखा जा सकता है।
ध्रुवीकरण का गणितीय निरूपण
ध्रुवीकरण को गणितीय रूप से निरूपित करने के लिए कई तरीके हैं। सबसे आम तरीका जोन्स कैलकुलस (Jones calculus) है। जोन्स कैलकुलस में, ध्रुवीकृत प्रकाश को एक दो-घटक सदिश (two-component vector) द्वारा दर्शाया जाता है, जिसे जोन्स सदिश (Jones vector) कहा जाता है:
E = [Ex, Ey]T
यहाँ, Ex और Ey क्रमशः x और y दिशाओं में विद्युत क्षेत्र के घटक हैं, और T ट्रांसपोज़ (transpose) को दर्शाता है।
जोन्स सदिश का उपयोग ध्रुवीकरण तत्वों, जैसे कि ध्रुवण फिल्टर और द्विअपवर्तक क्रिस्टल के प्रभाव का वर्णन करने के लिए किया जा सकता है। प्रत्येक ध्रुवीकरण तत्व को एक 2x2 मैट्रिक्स द्वारा दर्शाया जाता है, जिसे जोन्स मैट्रिक्स (Jones matrix) कहा जाता है। जब ध्रुवीकृत प्रकाश एक ध्रुवीकरण तत्व से गुजरता है, तो निर्गत प्रकाश के जोन्स सदिश को आपतित प्रकाश के जोन्स सदिश को जोन्स मैट्रिक्स से गुणा करके प्राप्त किया जाता है:
Eout = M Ein
यहाँ, Eout निर्गत प्रकाश का जोन्स सदिश है, Ein आपतित प्रकाश का जोन्स सदिश है, और M ध्रुवीकरण तत्व का जोन्स मैट्रिक्स है।
जोन्स कैलकुलस एक शक्तिशाली उपकरण है जिसका उपयोग जटिल ध्रुवीकरण प्रणालियों का विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है।
ध्रुवीकरण से जुड़ी चुनौतियाँ
ध्रुवीकरण के कई लाभ होने के बावजूद, इससे जुड़ी कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- ध्रुवीकरण क्षीणन (Polarization Attenuation): ध्रुवीकरण फिल्टर और अन्य ध्रुवीकरण तत्वों से गुजरने पर प्रकाश की तीव्रता कम हो जाती है। यह क्षीणन कुछ अनुप्रयोगों में एक समस्या हो सकती है, खासकर उन अनुप्रयोगों में जिनमें कम तीव्रता वाले प्रकाश का उपयोग किया जाता है।
- ध्रुवीकरण निर्भरता (Polarization Dependence): कुछ ऑप्टिकल घटक, जैसे कि बीम स्प्लिटर (beam splitters) और लेंस (lenses), ध्रुवीकरण पर निर्भर होते हैं। इसका मतलब है कि उनका प्रदर्शन प्रकाश के ध्रुवीकरण पर निर्भर करता है। यह निर्भरता कुछ अनुप्रयोगों में एक समस्या हो सकती है, खासकर उन अनुप्रयोगों में जिनमें उच्च परिशुद्धता की आवश्यकता होती है।
- ध्रुवीकरण विरूपण (Polarization Distortion): जब प्रकाश एक माध्यम से गुजरता है, तो उसका ध्रुवीकरण विकृत हो सकता है। यह विरूपण माध्यम के गुणों और प्रकाश के तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करता है। ध्रुवीकरण विरूपण कुछ अनुप्रयोगों में एक समस्या हो सकती है, खासकर उन अनुप्रयोगों में जिनमें लंबी दूरी पर प्रकाश का संचरण शामिल होता है।
ध्रुवीकरण के भविष्य के रुझान
ध्रुवीकरण अनुसंधान और विकास का एक सक्रिय क्षेत्र है। भविष्य में, हम ध्रुवीकरण के नए अनुप्रयोगों और तकनीकों को देखने की उम्मीद कर सकते हैं। कुछ संभावित भविष्य के रुझान निम्नलिखित हैं:
- ध्रुवीकरण-संवेदनशील इमेजिंग (Polarization-Sensitive Imaging): ध्रुवीकरण-संवेदनशील इमेजिंग एक नई तकनीक है जो वस्तुओं की सतह के गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ध्रुवीकरण का उपयोग करती है। इस तकनीक का उपयोग चिकित्सा निदान, सामग्री विज्ञान और सुरक्षा अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।
- ध्रुवीकरण-आधारित संचार (Polarization-Based Communication): ध्रुवीकरण-आधारित संचार एक नई तकनीक है जो डेटा को एन्कोड करने और प्रसारित करने के लिए ध्रुवीकरण का उपयोग करती है। इस तकनीक का उपयोग उच्च गति संचार प्रणालियों में किया जा सकता है।
- ध्रुवीकरण-नियंत्रित उपकरण (Polarization-Controlled Devices): ध्रुवीकरण-नियंत्रित उपकरण वे उपकरण हैं जो प्रकाश के ध्रुवीकरण को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इन उपकरणों का उपयोग ऑप्टिकल स्विच, मॉडुललेटर और फिल्टर में किया जा सकता है।
मुख्य बातें
- ध्रुवीकरण एक तरंग की एक विशेषता है जो तरंग के दोलन की दिशा का वर्णन करती है।
- ध्रुवीकरण तीन प्रकार का होता है: रेखीय, वृत्तीय और दीर्घवृत्तीय।
- ध्रुवीकरण उत्पन्न करने के कई तरीके हैं, जिनमें ध्रुवण फिल्टर, परावर्तन, द्विअपवर्तन और प्रकीर्णन शामिल हैं।
- ध्रुवीकरण के कई व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं, जिनमें एलसीडी स्क्रीन, ध्रुवीकरण माइक्रोस्कोपी, 3डी सिनेमा और संचार प्रणालियाँ शामिल हैं।
- जोन्स कैलकुलस का उपयोग ध्रुवीकरण को गणितीय रूप से निरूपित करने के लिए किया जा सकता है।
- ध्रुवीकरण से जुड़ी कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि ध्रुवीकरण क्षीणन, ध्रुवीकरण निर्भरता और ध्रुवीकरण विरूपण।
रोचक तथ्य
क्या आप जानते हैं कि कुछ जानवर ध्रुवीकृत प्रकाश को देख सकते हैं? मधुमक्खियाँ और कुछ कीड़े सूर्य की दिशा का पता लगाने के लिए ध्रुवीकृत प्रकाश का उपयोग करते हैं, खासकर बादल वाले दिनों में जब सूर्य सीधे दिखाई नहीं देता है।
एक और रोचक तथ्य यह है कि ध्रुवीकरण का उपयोग कला में भी किया जाता है। कुछ कलाकार ध्रुवीकरण फिल्टर का उपयोग करके ऐसे चित्र बनाते हैं जो सामान्य प्रकाश में अदृश्य होते हैं, लेकिन ध्रुवीकृत प्रकाश में दिखाई देते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
ध्रुवीकरण क्या है?
ध्रुवीकरण एक तरंग की एक विशेषता है जो तरंग के दोलन की दिशा का वर्णन करती है। यह मुख्य रूप से अनुप्रस्थ तरंगों, जैसे कि प्रकाश तरंगों के लिए लागू होती है। साधारण प्रकाश में, विद्युत क्षेत्र सभी दिशाओं में समान रूप से कंपन करता है, जबकि ध्रुवीकृत प्रकाश में, विद्युत क्षेत्र एक विशिष्ट दिशा में कंपन करता है।
ध्रुवीकरण के कितने प्रकार होते हैं?
ध्रुवीकरण तीन प्रकार का होता है: रेखीय, वृत्तीय और दीर्घवृत्तीय। रेखीय ध्रुवीकरण में, विद्युत क्षेत्र एक सीधी रेखा में कंपन करता है। वृत्तीय ध्रुवीकरण में, विद्युत क्षेत्र एक वृत्त में घूमता है। दीर्घवृत्तीय ध्रुवीकरण में, विद्युत क्षेत्र एक दीर्घवृत्त में घूमता है।
ध्रुवीकरण उत्पन्न करने के तरीके क्या हैं?
ध्रुवीकरण उत्पन्न करने के कई तरीके हैं, जिनमें ध्रुवण फिल्टर, परावर्तन, द्विअपवर्तन और प्रकीर्णन शामिल हैं। ध्रुवण फिल्टर एक विशेष दिशा में कंपन करने वाले प्रकाश को ही गुजरने देते हैं। जब प्रकाश एक सतह से परावर्तित होता है, तो परावर्तित प्रकाश आंशिक रूप से ध्रुवीकृत हो जाता है। द्विअपवर्तन कुछ क्रिस्टलों की एक विशेषता है जो विभिन्न दिशाओं में प्रकाश की विभिन्न गति से यात्रा करने की अनुमति देते हैं। जब प्रकाश छोटे कणों से टकराता है, तो यह प्रकीर्णित हो जाता है, और प्रकीर्णित प्रकाश आंशिक रूप से ध्रुवीकृत हो जाता है।
ध्रुवीकरण के अनुप्रयोग क्या हैं?
ध्रुवीकरण के कई व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं, जिनमें एलसीडी स्क्रीन, ध्रुवीकरण माइक्रोस्कोपी, 3डी सिनेमा, संचार प्रणालियाँ और तनाव विश्लेषण शामिल हैं। एलसीडी स्क्रीन ध्रुवीकरण का उपयोग करके छवियों का निर्माण करती हैं। ध्रुवीकरण माइक्रोस्कोपी का उपयोग उन सामग्रियों की संरचना का अध्ययन करने के लिए किया जाता है जो द्विअपवर्तक होती हैं। 3डी सिनेमा में, दो छवियों को एक साथ प्रक्षेपित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक को अलग-अलग ध्रुवीकरण दिशा में ध्रुवीकृत किया जाता है। ध्रुवीकरण का उपयोग संचार प्रणालियों में डेटा को एन्कोड करने और प्रसारित करने के लिए किया जा सकता है। ध्रुवीकरण का उपयोग सामग्रियों में तनाव का विश्लेषण करने के लिए भी किया जा सकता है।
जोन्स कैलकुलस क्या है?
जोन्स कैलकुलस एक गणितीय उपकरण है जिसका उपयोग ध्रुवीकरण को निरूपित करने के लिए किया जाता है। जोन्स कैलकुलस में, ध्रुवीकृत प्रकाश को एक दो-घटक सदिश द्वारा दर्शाया जाता है, जिसे जोन्स सदिश कहा जाता है। जोन्स सदिश का उपयोग ध्रुवीकरण तत्वों, जैसे कि ध्रुवण फिल्टर और द्विअपवर्तक क्रिस्टल के प्रभाव का वर्णन करने के लिए किया जा सकता है।
ध्रुवीकरण से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?
ध्रुवीकरण से जुड़ी कुछ चुनौतियाँ हैं, जैसे कि ध्रुवीकरण क्षीणन, ध्रुवीकरण निर्भरता और ध्रुवीकरण विरूपण। ध्रुवीकरण क्षीणन ध्रुवीकरण फिल्टर और अन्य ध्रुवीकरण तत्वों से गुजरने पर प्रकाश की तीव्रता में कमी है। ध्रुवीकरण निर्भरता कुछ ऑप्टिकल घटकों का प्रदर्शन है जो प्रकाश के ध्रुवीकरण पर निर्भर करता है। ध्रुवीकरण विरूपण प्रकाश का ध्रुवीकरण है जो एक माध्यम से गुजरने पर विकृत हो जाता है।
निष्कर्ष
ध्रुवीकरण भौतिक विज्ञान और प्रकाशिकी में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसके कई व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं। इस लेख में, हमने ध्रुवीकरण की परिभाषा, इसके विभिन्न प्रकार, इसे उत्पन्न करने के तरीके और इसके विविध अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की। हमने यह भी देखा कि जोन्स कैलकुलस का उपयोग ध्रुवीकरण को गणितीय रूप से निरूपित करने के लिए कैसे किया जा सकता है, और ध्रुवीकरण से जुड़ी कुछ चुनौतियों पर भी विचार किया। ध्रुवीकरण अनुसंधान और विकास का एक सक्रिय क्षेत्र है, और भविष्य में हम ध्रुवीकरण के नए अनुप्रयोगों और तकनीकों को देखने की उम्मीद कर सकते हैं।
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