🚀 गगनयान: भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन
भारत का अंतरिक्ष अभियान एक नया अध्याय लिखने जा रहा है — गगनयान मिशन के माध्यम से। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित भारत का पहला ऐसा प्रयास होगा जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्वदेशी यान से अंतरिक्ष में जाएंगे। यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय गर्व और विज्ञान की दिशा में आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है।
1️⃣ गगनयान क्या है?
गगनयान (गगन = आकाश, यान = वाहन) भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष यान मिशन है, जिसका उद्देश्य है — तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा (लगभग 400 किलोमीटर) में 3 दिनों के लिए भेजना और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना।
इस मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को की थी, और इसकी देखरेख ISRO कर रही है। इसके साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन जाएगा जो मानव को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम है।
2️⃣ मिशन का उद्देश्य और चरण
गगनयान मिशन को कई परीक्षणों और चरणों में बाँटा गया है:
- परीक्षण यान-1 (TV-D1): 21 अक्टूबर 2023 को सफलता पूर्वक लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण था।
- परीक्षण यान-2 (TV-D2): 2025 में प्रस्तावित, उन्नत सुरक्षा परीक्षण करेगा।
- मानवरहित उड़ान G1: दिसंबर 2025 में होगी, जिसमें एक महिला जैसे आकार वाली रोबोट 'व्योममित्रा' भेजी जाएगी।
- मानवरहित उड़ान G2 और G3: 2026 में होगी, तकनीकी पुख्ता करने के लिए।
- मानवयुक्त उड़ान H1: 2027 की पहली तिमाही में प्रस्तावित है। इसमें तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजे जाएंगे।
3️⃣ गगनयान यान की संरचना
📦 क्रू मॉड्यूल (यात्री कक्ष)
इस मॉड्यूल में अंतरिक्ष यात्रियों के बैठने, भोजन, स्वास्थ्य निगरानी और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की सुविधाएँ हैं। यह वायुरुद्ध (हर्मेटिक) होता है और गर्मी से बचाने के लिए विशेष ढालों से युक्त होता है।
⚙️ सेवा मॉड्यूल
यह यान को ऊर्जा, प्रोपल्शन (गति) और नियंत्रण प्रदान करता है। इसमें इसरो द्वारा विकसित सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन लगाया गया है जो उच्च गति और भार उठाने की क्षमता रखता है।
🛡️ चालक दल सुरक्षा प्रणाली (क्रू एस्केप सिस्टम)
यदि लॉन्च के दौरान कोई गड़बड़ी होती है तो यह प्रणाली अंतरिक्ष यात्रियों को यान से अलग करके सुरक्षित दूरी पर ले जाती है। इसका परीक्षण पैड एबॉर्ट टेस्ट और TV‑D1 मिशन में सफलता पूर्वक किया गया है।
4️⃣ कौन होंगे पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री?
वायुसेना के चार पायलटों को इसरो द्वारा चयनित किया गया है:
- विंग कमांडर प्रशांत बालकृष्ण नायर
- विंग कमांडर अजीत कृष्णन
- विंग कमांडर अंगद प्रताप
- विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
इन्हें रूस में गहन प्रशिक्षण दिया गया है, और ISRO की मानव अंतरिक्ष यान प्रशिक्षण इकाई, बेंगलुरु में भी प्रशिक्षण जारी है। विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अभ्यास मिशन के लिए चुने गए हैं।
5️⃣ इस मिशन में उपयोग हो रही प्रमुख तकनीकें
- जीवन रक्षक प्रणाली: ऑक्सीजन नियंत्रण, तापमान संतुलन, अपशिष्ट प्रबंधन, आग बुझाने की प्रणाली और विकिरण से बचाव।
- भारमुक्त भोजन: विशेष रूप से तैयार भारतीय खाना जैसे इडली, उपमा, और पराठा अंतरिक्ष में प्रयोग हेतु तैयार किए गए हैं।
- तेज पुन: प्रवेश ढाल: पृथ्वी पर लौटते समय गर्मी से रक्षा करता है।
- पैराशूट प्रणाली: समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग के लिए प्रयोग किया जाता है।
6️⃣ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
गगनयान मिशन में रूस, फ्रांस और अमेरिका ने तकनीकी सहायता प्रदान की है। रूस ने अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण में मदद की, जबकि फ्रांस ने जीवन समर्थन प्रणाली की डिज़ाइन में तकनीकी सहायता दी।
7️⃣ लागत और बजट
इस मिशन का अनुमानित कुल बजट लगभग ₹10,000 करोड़ रुपये है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी कम है, जिससे यह मिशन विश्व के सबसे किफायती मानव अंतरिक्ष मिशनों में से एक बन जाता है।
8️⃣ भविष्य की योजनाएँ
गगनयान के बाद ISRO का लक्ष्य है:
- 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (भारतीय अंतरिक्ष केंद्र) स्थापित करना।
- अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानव उपस्थिति सुनिश्चित करना।
- अन्य ग्रहों पर मानव मिशन की दिशा में तैयारी करना।
9️⃣ निष्कर्ष
गगनयान मिशन न केवल भारत के लिए तकनीकी सफलता की मिसाल बनेगा, बल्कि यह भारतीय युवाओं को विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रेरणा देगा। यह एक ऐसा कदम है जो भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति की ओर अग्रसर करेगा।
📝 नोट: गगनयान मिशन से जुड़े ताजा अपडेट और विज्ञान से जुड़ी अन्य रोचक जानकारियाँ पढ़ते रहें STEM Hindi ब्लॉग पर।
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