डॉ. के. राधाकृष्णन: भारत के अंतरिक्ष विजेता
डॉ. के. राधाकृष्णन, एक ऐसा नाम जिसे भारत के अंतरिक्ष इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। वे न केवल ISRO के एक कुशल प्रशासक थे, बल्कि मंगलयान मिशन जैसे जटिल अभियानों के नेतृत्वकर्ता भी। उनके कुशल नेतृत्व में भारत ने Mars Orbiter Mission (MOM) को सफलता पूर्वक अंजाम दिया, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक छलांग थी।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 29 अगस्त 1949 को केरल में हुआ था। उन्होंने केरल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और इसके बाद IIM बेंगलुरु से MBA एवं IIT खड़गपुर से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वैज्ञानिक सोच और प्रशासनिक दृष्टिकोण का यह संयोजन उन्हें एक उत्कृष्ट अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनाता है।
ISRO में योगदान
उन्होंने ISRO में कई अहम जिम्मेदारियाँ निभाईं, जैसे SAC, NRSA और VSSC में निदेशक पद। उनका मुख्य योगदान सुदृढ़ उपग्रह प्रक्षेपण प्रणाली (PSLV-GSLV) को बेहतर बनाना था। उनके कार्यकाल में भारत ने संचार, मौसम विज्ञान और जलवायु अध्ययन के लिए कई उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किए।
मंगलयान की ऐतिहासिक उड़ान
2013 में लॉन्च किया गया मंगलयान, भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन था। डॉ. राधाकृष्णन की दूरदृष्टि, लागत नियंत्रण और वैज्ञानिक दक्षता की बदौलत, यह मिशन न केवल सफल हुआ, बल्कि भारत पहले प्रयास में मंगल तक पहुंचने वाला पहला देश बना। इसकी लागत मात्र $74 मिलियन थी — जो हॉलीवुड फिल्म Gravity से भी कम थी!
मिशन शक्ति से तुलना
जहाँ एक ओर मिशन शक्ति ने भारत की रक्षा शक्ति को स्थापित किया, वहीं डॉ. राधाकृष्णन जैसे वैज्ञानिकों ने भारत को शांति और विज्ञान की राह पर अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में उभारा। दोनों ही भारत की तकनीकी प्रगति के प्रतीक हैं।
सम्मान और पुरस्कार
- पद्म भूषण (2014)
- IEEE Simon Ramo Medal
- वर्ल्ड इकनोमिक फोरम द्वारा 'टेक्नोलॉजिकल पायनियर'
डॉ. राधाकृष्णन की प्रेरणा
वह केवल एक वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि क्लासिकल कर्नाटिक गायक भी हैं। यह उनका विज्ञान और कला का अद्भुत संतुलन है, जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह दिखाया कि वैज्ञानिक सोच, संगठनात्मक नेतृत्व और मानवता साथ-साथ चल सकते हैं।
🚀 निष्कर्ष:
डॉ. के. राधाकृष्णन का जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर दृष्टिकोण वैज्ञानिक हो और नेतृत्व पारदर्शी हो, तो कोई भी राष्ट्र अंतरिक्ष की ऊँचाइयों को छू सकता है। वे STEM Hindi की "भारत के वैज्ञानिक रत्न" श्रृंखला में एक अनमोल नक्षत्र हैं।
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