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चंद्रयान‑3: भारत की दक्षिण ध्रुवीय चंद्र लैंडिंग और वैज्ञानिक उपलब्धियाँ

चंद्रयान‑3: भारत की दक्षिण ध्रुवीय चंद्र लैंडिंग की गाथा

भारत का चंद्रयान‑3 मिशन न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि थी, बल्कि यह दृढ़ इच्छाशक्ति और तकनीकी उत्कर्ष का प्रतीक बन गया। दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर भारत द्वारा पहली बार सफल नरम अवतरण करके देश ने वस्तुतः अंतरिक्ष मानचित्र बदल दिया—अमेरिका, रूस, चीन के बाद इसे हासिल करने वाला चौथा देश बनने के साथ-साथ, पहले ऐसे देश के रूप में जिसने **चंद्र दक्षिण ध्रुव** पर उतरने में सफलता पाई।

1. मिशन का उद्देश्य और महत्व

चंद्रयान‑3 का मिशन तीन मुख्य उद्देश्यों पर केन्द्रित था:

  1. चंद्र दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर **सुरक्षित नरम अवतरण** की तकनीकी सिद्धि
  2. रॉवर **प्रज्ञान** के माध्यम से सतही रोविंग और डेटा विश्लेषण
  3. विभिन्न **विज्ञान उपकरणों** का प्रयोग कर तापीय, भूकंपीय, रासायनिक और प्लाज्मा मापना
इन मिशन उद्देश्यों की सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रभावशीलता ने भविष्य की अंतरिक्ष योजनाओं के लिए आधार तैयार किया।

2. लॉन्च से अवतरण तक की यात्रा

**14 जुलाई 2023** को श्रीहरिकोटा से **GSLV‑Mk III (LVM3 M4)** द्वारा चंद्रयान‑3 लॉन्च किया गया। लगभग 16 मिनट बाद यान को पृथ्वी की अपर गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया। इसके पश्चात क्रमशः चंद्र कक्षीय मार्गदर्शन करके **23 अगस्त 2023 शाम 6:04 बजे IST** पर विक्रम लैंडर ने **Statio Shiv Shakti** नामक स्थल पर लैंडिंग की। इस यात्रा में लगभग 40–42 दिन लगे, जिसमें सावधानीपूर्वक कक्षीय मैन्यूवर और परीक्षण शामिल थे।

3. Statio Shiv Shakti (अवतरण स्थल)

अवतरण स्थल भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा नामित “**शिव शक्ति पॉइंट**” कहलाया। इस स्थल को **International Astronomical Union (IAU)** द्वारा 19 मार्च 2024 को मंजूर किया गया नाम **Station Shiv Shakti** घोषित किया गया। यह स्थल चंद्र दक्षिण ध्रुव से लगभग 350–600 किलोमीटर दूर उच्च अक्षांश क्षेत्र के अंतर्गत आता है। 

4. यान की संरचना: PM, लैंडर और रॉवर

चंद्रयान‑3 के तीन प्रमुख घटक थे:

  • प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM): जिसमें वैज्ञानिक उपकरण SHAPE शामिल, यह लैंडर-रॉवर को चंद्र कक्षा तक ले गया।
  • विक्रम लैंडर: लगभग 1,749 किग्रा वजन का यह घटक चार थ्रस्टर्स वाले डिजाइन के साथ लैंडिंग हेतु तैयार किया गया था। इसमें RAMBHA, ChaSTE, ILSA और LRA जैसे पेलोड थे।
  • प्रज्ञान रॉवर: लगभग 26–27 किग्रा का छह-पहिया रोबोट, जो चंद्र सतह पर 500 मीटर तक चलता रहा। इसमें APXS और LIBS जैसे विज्ञान उपकरण लगे थे।
ISRO ने Chandrayaan‑2 की विफलताओं से ली गई सीखों के आधार पर Vikram में Altitude control rate को बढ़ाकर 25°/सेकेंड किया, LDV, LHVC जैसे अत्याधुनिक सेंसर जोड़े, और थ्रस्ट नियंत्रण प्रणाली को बेहतर बनाया। 

5. लैंडर के वैज्ञानिक उपकरण

RAMBHA (Langmuir Probe)

यह लैंडर पर स्थित Langmuir probe चंद्र वायुमंडलीय प्लाज्मा (ions, electrons) की घनता और समय‑सापेक्ष परिवर्तन मापता है। इसमें सोलर-विंड और सतह पर आवेश-घनत्व पर अध्ययन किया गया।

ChaSTE (Surface Thermophysical Experiment)

ChaSTE चंद्र मिट्टी की तापीय चालकता और तापमान मापता है। यह लैंडर सतह पर लगभग 10 सेंटीमीटर गहराई तक सेंसर भेजता है। सतह ताप लगभग 70°C मापा गया जबकि 8–10 सेमी नीचे −60 °C दर्ज हुआ। इससे मिट्टी की ऊष्मा-संरक्षण क्षमता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली। 

ILSA (Instrument for Lunar Seismic Activity)

चंद्रकंप (Moonquakes) रिकॉर्ड करने के लिए MEMS-आधारित इस उपकरण ने लैंडिंग साइट के आसपास लगभग 250 सिग्नल्स दर्ज किए, जिनमें से 50 वास्तविक मूनक्वेक थे—कुछ संकेत 14 मिनट तक चलने वाले। यह दक्षिणी ध्रुव से प्राप्त पहली उच्च-गुणवत्ता seismic जानकारी है।

LRA (Laser Retroreflector Array)

यह NASA द्वारा प्रदान किया गया निष्क्रिय उपकरण है। इससे लेजर रेंजिंग के माध्यम से पृथ्वी-चंद्र दूरी का सटीक मापन संभव होता है। इससे पृथ्वी–चंद्र व्योमिकी का बेहतर अध्ययन होता है। 

6. रॉवर के उपकरण और कार्यप्रणाली

APXS (Alpha‑Particle X‑ray Spectrometer)

यह उपकरण चंद्र मिट्टी और चट्टानों में शामिल प्रमुख तत्वों जैसे मैग्नीशियम, अयस्क, सिलिकॉन, लोहा आदि की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करता है। आत्मीय रूप से यह मिट्टी की खनिज पहचान में उपयोगी होता है।

LIBS (Laser Induced Breakdown Spectroscope)

यह उपकरण मिट्टी पर लेजर पल्स मारकर उत्सर्जित प्रकाश की गुणवत्ता व मात्रा मापता है। इससे तत्वों की घनता (density) और अनुपात ज्ञात होते हैं। पहली बार दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में सल्फर सहित कई तत्वों की पुष्टि हुई।

7. प्रोपल्शन मॉड्यूल और SHAPE

PM पर लगा SHAPE (Spectro‑polarimetry of Habitable Planet Earth) उपकरण पृथ्वी की Near-Infrared स्पेक्ट्रो‑पोलरिमेट्री करता है। इसका उद्देश्य संभाव्य रहने योग्य ग्रहों की खोज के लिए पृथ्वी जैसे उदाहरण की पहचान करना है। यह उपकरण 4.8 kg वजन और 25 W पावर के साथ कार्य करता है। 

8. प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियाँ

  • ✅ भारत की पहली **सफ्ट लैंडिंग** चंद्र दक्षिण ध्रुव पर। ([turn0news15], [turn0news14])
  • 🌡️ ChaSTE ने तापीय प्रोफ़ाइल सम्बंधित डेटा भेजा: सतह ताप ~70 °C, मिट्टी नीचे −60 °C। ([turn0academia17])
  • 🌋 ILSA द्वारा रिकॉर्ड किये गए 250+ सिग्नलों में से 50 मूनक्वेक थे, कुछ 14 मिनट तक लगातार। ([turn0reddit24])
  • 🪨 LIBS तकनीक से पहली बार इस क्षेत्र में सल्फर सहित खनिजों की पुष्टि हुई।
  • 🌍 SHAPE का डेटा श्रोताओं को भविष्य के ग्रह अनुसंधान में मार्गदर्शन देगा।
  • 🎖️ ISRO को **World Space Award** से सम्मानित किया गया। ([turn0search25])
  • 📅 **राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस — 23 अगस्त** को घोषित किया गया।

9. वैश्विक प्रभाव एवं अनुप्रयोग

चंद्रयान‑3 मिशन ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्पेस टेक्नोलॉजी में अग्रणी साबित किया। NASA, ESA और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय ने इस सफलता की सराहना की। लगभग ₹600 करोड़ (≈$75–77 मिलियन) की लागत में मिली इस उपलब्धि ने दूसरी मिशनों की तुलना में अधिक वैज्ञानिक मूल्य प्रदान किया। यह मिशन मानवयुक्त चंद्र मिशन, अंतरिक्ष पर्यटन और चंद्र आधार की योजनाओं के लिए नींव बंधो ले गया।

10. रोचक तथ्य और मानव पहलू

  • 🔭 Pragyan रॉवर ने लूनार सतह पर ISRO लोगो एवं राष्ट्रीय प्रतीक अंकित किया—एक प्रतीकात्मक गौरव। 
  • 🧠 पहले बार दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र का in‑situ भूगर्भीय प्रयोग।
  • 🐾 rover ने लगभग 100 मीटर तक rove किया, कई कार्य reversing mode में भी किया—यह अनिवार्य नहीं था। L
  • ⌛ मिशन का समय लगभग एक चंद्र दिवस (14 पृथ्वी दिवस) तक था; प्रज्ञान चंद्र रात्रि में बंद हो गया क्योंकि तापमान −120 °C तक गिर गया।
  • 🎖️ मिशन टीम को **World Space Award 2024** मिला—विश्व भर में ISRO की प्रशंसा।

11. प्रेरक दृष्टिकोण और भावनात्मक संदेश

चंद्रयान‑3 केवल एक मिशन नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक क्षमता का प्रतीक है। यह कहानी उस सपने की है जिसे ग्रामीण पृष्ठभूमि के इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और तकनीशियनों ने साकार किया। यह मिशन युवा पीढ़ी को संदेश देता है—**“यदि ठान लो, तो चाँद भी संभव है।”** यही दृढ़ता भविष्य की अंतर्ग्रह योजनाओं का मार्गदर्शक बनेगी।

12. निष्कर्ष और आगे की दिशा

चंद्रयान‑3 ने भारत को न केवल तकनीकी दिशा में ऊँचाई पर पहुँचाया, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक मानचित्र में भी प्रतिष्ठा दिलाई। इसका प्रभाव मानवयुक्त चंद्र मिशन, चंद्रयान‑4,‑5 और पृथ्वी-चंद्रयान दूरी मापन से परे भविष्य की योजनाओं को मजबूत बनाता है। आगामी समय में ISRO द्वारा Exoplanet प्रदर्शनों, मानव मिशनों और.Space start-ups सहयोग की दिशा में गति बढ़ेगी।

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