रेडियो टेलीस्कोप्स: इतिहास, निर्माण और ISRO की उपलब्धियां 1. परिचय रेडियो टेलीस्कोप्स खगोल विज्ञान का एक अभिन्न हिस्सा हैं। ये उपकरण रेडियो तरंगों को कैप्चर कर हमें ब्रह्मांडीय घटनाओं को समझने का अवसर देते हैं। भौतिकी, खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्रों में रेडियो टेलीस्कोप्स ने नई क्रांतियां लाई हैं। भारत में, ISRO ने इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। 2. इतिहास रेडियो खगोल विज्ञान की शुरुआत 1932 में हुई, जब अमेरिकी वैज्ञानिक कार्ल जान्स्की ने पहली बार ब्रह्मांडीय रेडियो तरंगों की खोज की। 1937 में ग्रोते रेबेर ने पहला रेडियो टेलीस्कोप बनाया। 2.1 रेडियो टेलीस्कोप्स का प्रारंभिक उपयोग प्रारंभिक रेडियो टेलीस्कोप्स का उपयोग सूर्य, आकाशगंगा और अन्य खगोलीय पिंडों से आने वाली रेडियो तरंगों का अध्ययन करने के लिए किया गया था। इनकी मदद से खगोल विज्ञान में कई नई खोजें की गईं, जैसे कि पल्सर और क्वासर । 2.2 ISRO का प्रारंभिक योगदान भारत में खगोल विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ISRO ने भारतीय रेडियो खगोल विज्ञान वेधशाला (GMRT) की स्थापना ...